राधा अष्टमी व्रत 2023 कैसे करें - व्रत का सही समय क्या है
अगर आप भी जानना चाहते हैं के राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें तो हम आपको बता देना चाहते हैं कि आप सही वेबसाइट पर पहुंच चुके हैं।
आज हम राधा अष्टमी व्रत से जुड़े सारी जानकारी आपके साथ साझा करने वाले हैं जिससे कि आप जान सकेंगे की Radha Ashtami Vrat Kaise Kare
जैसे कि आप सभी जानते हैं किसी श्री Krishan का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था जिसको श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में जाना जाता है। वैसे ही हमारे श्यामा किशोरी जी का भी जन्माष्टमी के दिन हुआ था। जिसको राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है।
जो प्रेमी एकादशी का व्रत नहीं रखते। अगर वह साल में एक बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी और राधा अष्टमी का व्रत कर लेते हैं। उनको सारी एकादशी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है।
जो प्रेमी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं उनके लिए अनिवार्य है कि वह राधा अष्टमी का व्रत भी करें। अन्यथा व्रत पूरा नहीं माना जाता।
क्योंकि श्री कृष्णा और राधा एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। तो जी प्रेमी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किया है उसके लिए अनिवार्य है कि वह Radha Ashtami Vrat भी रखें।
राधा अष्टमी की तिथि
राधा अष्टमी की पवित्र तिथि 22 सितंबर को 1:35 पर शुरू हो रही है और 23 सितंबर शनिवार 12:17 मिनट पर संपन्न हो रही है। ऐसे में जो तिथि सूर्योदय के समय शुरू हो रही है वही मान्य होती है।
क्योंकि हमारी राधा रानी का जन्म दोपहर 12:00 हुआ था। ऐसे में राधा अष्टमी का त्यौहार 23 सितंबर को मनाया जाएगा। ऐसे में दोपहर 12:00 से राधा अष्टमी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा।
ऐसे में दोपहर 12:00 तक ही व्रत रहेगा। आप दोपहर 12:17 के बाद अपना व्रत खोल सकते हैं।
जैसे कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जल भी नहीं पिया गया था। पूरा दिन निर्जला रहा गया था और कुछ नहीं खाया गया था।
तो आप तो आपको राधा अष्टमी का व्रत भी निर्जला रखना चाहिए और पूरा दिन कृष्णा कृष्णा नाम का जाप करना चाहिए।
क्योंकि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हमने राधा राधा नाम गजब किया था तो राधा अष्टमी के दिन कृष्णा कृष्णा नाम का जाप करना चाहिए।
जिन प्रेमियों के घर श्री कृष्णा और राधा का स्वरूप है वह उनकी पूजा करें। आप लक्ष्मी जी के स्वरूप की पूजा भी कर सकते हैं अगर आपके घर में लड्डू गोपाल है तो आप लड्डू गोपाल को राधा रानी मानकर उनकी पूजा कर सकते हैं।
इस दिन याद रहे की आप पुरुष है या महिला है आपको इस दिन सखी बनकर ही राधा रानी की पूजा करनी होगी। राधा रानी को नीला रंग बहुत ही पसंद है तो आप अपने लड्डू गोपाल को नीले वस्त्र पहन सकते हैं। कोशिश करिए खुद भी नीले कलर के कपड़े डालें।
नील नहीं बन सकते तो पीले रंग के वस्त्र पहने। वैसे तो आप जानते हैं कि भगवान को प्याज लहसुन का भोग नहीं लगाया जाता। आप इस दिन घर में कुछ पकवान बनाकर भी भगवान को भोग लगा सकते हैं
इस दिन हम कृष्णा कृष्णा नाम का उच्चारण करेंगे इससे राधा रानी बहुत ही परेशान होते हैं। अपनी बडाई सुनना हमको पसंद है परंतु उनको नहीं है। वह तो अपने प्रीतम का नाम सुनकर ही खुश हो जाते हैं।
ठीक 12:00 श्री राधा रानी का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। राधा रानी को आप पंचामृत से स्नान करवा के उनको सुंदर पोशाक बना दी जाएगी।
अपने आसपास सभी को प्रसाद बंटी और पंचामृत से अपने व्रत को खोल लीजिए और आगे की अपनी दिनचर्या को शुरू कर दीजिए।
सूर्योदय से पहले स्नान कर लीजिए और राधा रानी की सेवा में लग जाइए। यह ज्यादा मुश्किल बात नहीं है पर अगर आपने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा है तो अनिवार्य है कि आप श्री Radha Ashtami Vrat भी रखें।
आपको हमारी तरफ से राधा अष्टमी की बधाई हो जय श्री कृष्णा राधे-राधे