Holi Essay in Hindi 2023
अगर आप भी Holi Essay in Hindi 2023 या फिर होली पर हिंदी में निबंध, होली के गीत, होली पर भाषण के बारे में जानना चाहते हैं तो आप सही वेबसाइट पर पहुंच चुके हैं।
आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए essay about holi in hindi जानकारी लेकर आए हैं इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और आप यहां से भारतीय त्योहार होली पर हिंदी में निबंध को बहुत ही आसानी से कॉपी कर सकते हैं और कहीं पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
होली पर हिन्दी निबंध
होली एक ऐसा रंग बिरंगा त्यौहार है जो कि हर धर्म संप्रदाय के लोगों को सदियों से चले आ रहे गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे के साथ भाईचारे का संदेश देते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली मनाने के 1 दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिसके पीछे एक लोकप्रिय कथा छिपी हुई है।
रंगों का यह प्रसिद्ध होली का त्यौहार लोगों के जीवन में नई नई खुशियां लेकर आता है क्योंकि इस त्योहार पर सगे संबंधियों और रिश्तेदारों के साथ मेलजोल पड़ता है और होली के यह रंग सबके जीवन को खुशहाली से भर देते हैं।
आइए होली के त्यौहार से जुड़ी इस पुरानी कथा के बारे में जानते हैं विष्णु के भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप खुद को भगवान से भी बड़ा मानते थे। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान विष्णु से बड़ा मानते थे। लेकिन उनका पुत्र प्रहलाद बाल उम्र से ही बहुत बड़े विष्णु भक्त थे। जोकि उनके पिता हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
इसलिए वह चाहते थे कि उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति को छोड़कर अपने पिता यानी कि हिरण्यकश्यप का गुणगान करने लगे। लेकिन प्रहलाद की असीमित भक्ति उनके लिए चिंता का विषय बन चुकी थी। इसलिए हिरण्यकश्यप अंत में यह निर्णय करता है कि उन्हें अपने पुत्र को मार देना चाहिए।
इसलिए हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका जिसे की आग में ना जलने का वरदान मिला हुआ था और उसके पास एक मायावी चादर थी। जिसकी सहायता से वह अगर उस चादर को अपने शरीर पर ओढ़ कर अग्नि में प्रवेश करती थी तो कभी भी भस्म नहीं होती थी।
इसलिए वह अपने भाई हिरण्यकश्यप के कहने पर उनके पुत्र प्रह्लाद को लेकर जलती हुई चिता के ऊपर बैठ जाती है। लेकिन जैसे ही चिता में आग लगाई जाती है तो तेज हवा के कारण होलिका की मायावी चादर प्रहलाद के शरीर को ढक देती है और होली का जलती चिता में भस्म हो जाती है।
भगवान का हाथ थामने वाले विष्णु भक्त प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं होता और वह पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं। इसलिए इस पौराणिक कथा के आधार पर फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने लगा। होली का यह त्यौहार हमें यह संदेश देता है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।
इसलिए आज भी लोग पूर्णिमा के दिन होलिका दहन करते हैं और अगले दिन होली का त्यौहार अपने मित्रों और सगे संबंधियों के ऊपर रंग डालकर बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। होली के त्यौहार को रंगों का त्योहार माना जाता है।
होलिका दहन के अगले दिन यानी कि होली के दिन बड़े ही उत्साह के साथ बच्चे और बड़े अपने सगे संबंधियो के घर जाते हैं और गुब्बारों में पिचकारी से एक दूसरे को रंग लगाते हैं। घरों में औरतें होली के पिछले दिन गुजिया और तरह-तरह की मिठाईयां बनाती हैं और अपने मित्रों के साथ मिठाइयां बांटी जाती हैं।
होली से कुछ दिन पहले ही बाजारों में होली के त्यौहार की रौनक झलकने लगती हैं रंग बिरंगी पिचकारी और गुलाल से दुकानें सजी रहती हैं। होली के दिन कई जगह पतंग भी उड़ाई जाती है इसलिए दुकानों पर पतंग खरीदने के लिए बच्चों की होड़ लगी रहती है।
लोग मिलजुल कर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और इस पावन होली के त्यौहार में सभी मनमुटाव भूल कर नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं। लेकिन आजकल ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में लोग केमिकल युक्त रंग की बिक्री कर रहे हैं जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है। केमिकल युक्त रंग हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए हमें अच्छे रंगों से ही होली खेलनी चाहिए।
बरसाने की होली, ब्रज की होली के साथ-साथ वृंदावन और मथुरा की होली पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है।
होली के दिन कुछ शरारती लोग तेज़ धार वाली पिचकारी और गुब्बारे का इस्तेमाल करते हैं और इनमें गुलाल भरकर एक दूसरे पर फेंकते हैं। इस तरह से होली खेलने पर शरीर के अंदरूनी अंगों और आंख, नाक में घाव हो सकता है। इसलिए हमें बहुत ही ध्यान पूर्वक होली के त्यौहार को अपने मित्रों और सगे संबंधियों के साथ बड़े ही धूमधाम और खुशी से मनाना चाहिए।
Conclusion
हमें उम्मीद है कि आज का यह आर्टिकल जोकि essay about holi in hindi से संबंधित था यदि आपको यह होली पर हिंदी में निबंध अच्छा लगा हो तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।