संधि किसे कहते हैं? संधि की परिभाषा, संधि-विच्छेद क्या है
संधि किसे कहते हैं, संधि विच्छेद, संधि के प्रकार और संधि के उदाहरण के बारे में आप यदि अच्छे से समझाना चाहते हैं तो आप सही वेबसाइट पर पंहुच गये हैं।
संधि शब्द का व्युत्पत्ति सम उपसर्ग धातु एवं की प्रत्यय से मिलकर हुई है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – “परस्पर मिलना” अर्थात जब दो या
दो से अधिक वर्णो का परस्पर मेल एंव उनमें कोई परिवर्तन भी हो तो उसे संधि कहा जाता है।
संधि का शाब्दिक अर्थ है- योग अथवा मेल। अर्थात् दो ध्वनियों या दो वर्गों के मेल से होने वाले विकार को ही संधि कहते हैं।
Note :- दो वर्णो के मेल हो जाए लेकिन उनमे कोई परिवर्तन न हो तो उसे संधि नहीं संयोग कहा जाता है।
उदाहरण :- राज + योग = राजयोग
संधि किसे कहते हैं
जब हम संधि के बारे में पढ़ रहे होते है तब हमारे मन में एक सवाल उत्पन्न होता है कि संधि किसे कहते हैं या संधि क्या है? तो चलिए जानते है इस सवाल का जवाब
“जब दो या दो से अधिक वर्णों का मिलन समिपता के कारण होता है तब उनमें कोई न कोई परिवर्तन होता है और इसी परिवर्तन या विकार को ‘ संधि ‘ कहते हैं।”
संधि की परिभाषा
जब दो वर्ण पास-पास आते हैं या मिलते हैं तो उनमें विकार उत्पन्न होता है अर्थात् वर्ण में परिवर्तन हो जाता है।
यह विकार युक्त मेल ही संधि कहलाता है।
कामताप्रसाद गुरु के अनुसार, ‘दो निर्दिष्ट अक्षरों के आस-पास आने के कारण उनके मेल से जो विकार होता है, उसे संधि कहते हैं।
श्री किशोरीदास वाजपेयी के अनुसार, 'जब दो या अधिक वर्ण पास-पास आते हैं तो कभी-कभी उनमें रूपांतर हो जाता है।
इसी रूपांतर को संधि कहते हैं।'
संधि-विच्छेद क्या है
वर्णों के मेल से उत्पन्न ध्वनि परिवर्तन को ही संधि कहते हैं। परिणामस्वरूप उच्चारण एवं लेखन दोनों ही स्तरों पर मूल रूप से भिन्नता आ जाती है।
अतः उन वर्णों/ध्वनियों को पुनः मूल रूप में लाना ही संधि विच्छेद कहलाता है
उदाहरण के लिए :-
महेश = महा + ईश
मनोबल = मनः + बल
गणेश = गण + ईश